"आज हिन्दी दिवस नहीं है |"
सौम्य शिखर 'अमेज़िंग'
शीर्षक देख कर लग सकता है कि कोई रोने-धोने वाली कविता होगी|
पर ऐसी कविताओं को पढ़ता भी कौन है? हम तो अँग्रेज़ी की भी नहीं पढ़ते, हिन्दी में कौन पढ़े?
इसलिए लिख भी नहीं रहे हैं| बात ट्रक के पीछे लिखे हुए एक कथन के सन्दर्भ में हो रही है|
और कैसे पटना में इसे बहुत गंभीरता से ले लिया जाता है|
पटना की भयंकर गर्मी और भयंकर ट्रॅफिक का मिलाजुला प्रभाव यहाँ के निवासियों की मनोदशा पर पड़ा है|
सबका रहन-सहन, स्वभाव बदल गया है| यहाँ आने के पहले इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है|असल में कहीं बाहर से आइए तभी पता लगेगा, स्थानीय लोग तो मस्त अभ्यस्त हो गये हैं|
पर सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि कोई भी हॉर्न बजाते हुए थकता नहीं है| आवाज़ देते रहता है|
चाहे सड़क खाली ही क्यों ना हो हॉर्न बजना चाहिए, मन को शांति मिलती होगी ?
ज़्यादा तकलीफ़देह यह है कि जाम के समय भी लोग नहीं चूकते, इस उम्मीद में कि उनकी ध्वनि तरंगें आगे की सभी गाड़ियों को थोड़ा और आगे खिसका देंगी|
शायद बाइक्स में ट्रक्स जैसे हॉर्न लगाने का यही कारण है,
जितना ज़्यादा प्रेशर होगा उतना फोर्स आगे की गाड़ी पर पड़ेगा|
बहुत अजीब लगता है|
अगर आप भी मेरी तरह इस असामान्य व्यवहार से त्रस्त हैं, तो नीचे कुछ उपाय हैं|
सौम्य शिखर 'अमेज़िंग'
शीर्षक देख कर लग सकता है कि कोई रोने-धोने वाली कविता होगी|
पर ऐसी कविताओं को पढ़ता भी कौन है? हम तो अँग्रेज़ी की भी नहीं पढ़ते, हिन्दी में कौन पढ़े?
इसलिए लिख भी नहीं रहे हैं| बात ट्रक के पीछे लिखे हुए एक कथन के सन्दर्भ में हो रही है|
और कैसे पटना में इसे बहुत गंभीरता से ले लिया जाता है|
पटना की भयंकर गर्मी और भयंकर ट्रॅफिक का मिलाजुला प्रभाव यहाँ के निवासियों की मनोदशा पर पड़ा है|
सबका रहन-सहन, स्वभाव बदल गया है| यहाँ आने के पहले इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है|असल में कहीं बाहर से आइए तभी पता लगेगा, स्थानीय लोग तो मस्त अभ्यस्त हो गये हैं|
पर सबसे बड़ा प्रभाव यह है कि कोई भी हॉर्न बजाते हुए थकता नहीं है| आवाज़ देते रहता है|
चाहे सड़क खाली ही क्यों ना हो हॉर्न बजना चाहिए, मन को शांति मिलती होगी ?
ज़्यादा तकलीफ़देह यह है कि जाम के समय भी लोग नहीं चूकते, इस उम्मीद में कि उनकी ध्वनि तरंगें आगे की सभी गाड़ियों को थोड़ा और आगे खिसका देंगी|
शायद बाइक्स में ट्रक्स जैसे हॉर्न लगाने का यही कारण है,
जितना ज़्यादा प्रेशर होगा उतना फोर्स आगे की गाड़ी पर पड़ेगा|
बहुत अजीब लगता है|
अगर आप भी मेरी तरह इस असामान्य व्यवहार से त्रस्त हैं, तो नीचे कुछ उपाय हैं|
- हॉर्न बजाने वाला यदि पीछे है, तो नम्रता से उसे आगे आने दें| उसके बाद उसी लय में हॉर्न बजायें जो कुछ देर पहले सुन रहे थे|
- हॉर्न बजाने वाला यदि आगे है, तो प्रत्यक्ष रूप से आप परेशान नहीं हैं, लेकिन समाज का भला करने मेंक्या बुरा है, शुरू हो जाइए|
- इन दोनों ही परिस्थितियों में यदि आपका दुश्मन आपको देख ले, तो ऐसे रहें जैसे कुछ हुआ ही ना हो, आप जीत की कगार पर है| अगली बार आपका चेहरा उसके सामने आएगा|
- बात ना बने तो कुछ कहने से हिचकिचायें नहीं| शांत भाव से कुछ व्यंग्यात्मक टिप्पणी करें और आगे बढ़ें|घबरायें नहीं, यदि आप या आपके पिताजी टॅक्स भरते हैं, तो ये सड़क आप दोनों की है|
अगर फिर भी बात ना बने, तो इग्नोर करिए और घर जा कर जागरूकता फैलाइए |कम से कम अपने लोग तो ठीक रहें|
असल में हॉर्न बजाने वाला भी नहीं जानता कि वो ग़लत कर रहा है|
टी.वी. पर आजकल कई धारावाहिक देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है| रोज़|
उन सब में खलनायिकाओं को ऐसा दर्शाया जाता है जैसे वे जानबूझ कर बदमाशी कर रही हैं;
यकीन मानिए, ऐसा नहीं होता होगा| किसी व्यक्ति का अवचेतन मन कपटी हो सकता है,
चेत अवस्था में बिना मतलब हॉर्न बजाना या बदमाशी करना सामान्य नहीं है|
हॉर्न बजाने वाली मानसिकता, उस जल्दबाज़ी की परिचायक है जो हर जगह दिख जाएगी|
जल्दी सबको है, भले ही पहुँच कर ऑफीस में खाली क्यों ना बैठे रहें|
ये गाना किस फिल्म का है?
ये ये ये करके दिखाओ
ये फिर ये
अब ये ये करके दिखाओ
ये करके दिखाओ
चलो ये करके दिखाओ..
और अंत में-
हिन्दी में कुछ भी पढ़िए, लगता है कोई पीली पन्नों वाली पुरानी पुस्तक पलट रहे हों (अनुप्रास)| प्रेमचंद की कहानी पढ़ रहें हों| बुक फेयर में जाइएगा, तो हिन्दी खोजने पर आज भी प्रेमचंद ही मिलेंगे| वे मोदी की तरह हैं, बिकते हैं क्योंकि विरोध में कोई नहीं| विरोधी होते तो जनता लाभान्वित होती|लिखने के लिए अच्छा पढ़ना अत्यावश्यक है, और हम लिख भी शायद ७-८ साल बाद रहे हैं|
इतना बॅकग्राउंड हमें क्षमा करने के लिए, कि अगर हिन्दी खराब है तो हमारी ग़लती से नहीं| बताईएगा ज़रूर कि कौन सा हिस्सा सबसे खराब था|प्रणाम!
(लिपि परिवर्तक- क्विलपेड)
असल में हॉर्न बजाने वाला भी नहीं जानता कि वो ग़लत कर रहा है|
टी.वी. पर आजकल कई धारावाहिक देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है| रोज़|
उन सब में खलनायिकाओं को ऐसा दर्शाया जाता है जैसे वे जानबूझ कर बदमाशी कर रही हैं;
यकीन मानिए, ऐसा नहीं होता होगा| किसी व्यक्ति का अवचेतन मन कपटी हो सकता है,
चेत अवस्था में बिना मतलब हॉर्न बजाना या बदमाशी करना सामान्य नहीं है|
हॉर्न बजाने वाली मानसिकता, उस जल्दबाज़ी की परिचायक है जो हर जगह दिख जाएगी|
जल्दी सबको है, भले ही पहुँच कर ऑफीस में खाली क्यों ना बैठे रहें|
ये गाना किस फिल्म का है?
ये ये ये करके दिखाओ
ये फिर ये
अब ये ये करके दिखाओ
ये करके दिखाओ
चलो ये करके दिखाओ..
और अंत में-
हिन्दी में कुछ भी पढ़िए, लगता है कोई पीली पन्नों वाली पुरानी पुस्तक पलट रहे हों (अनुप्रास)| प्रेमचंद की कहानी पढ़ रहें हों| बुक फेयर में जाइएगा, तो हिन्दी खोजने पर आज भी प्रेमचंद ही मिलेंगे| वे मोदी की तरह हैं, बिकते हैं क्योंकि विरोध में कोई नहीं| विरोधी होते तो जनता लाभान्वित होती|लिखने के लिए अच्छा पढ़ना अत्यावश्यक है, और हम लिख भी शायद ७-८ साल बाद रहे हैं|
इतना बॅकग्राउंड हमें क्षमा करने के लिए, कि अगर हिन्दी खराब है तो हमारी ग़लती से नहीं| बताईएगा ज़रूर कि कौन सा हिस्सा सबसे खराब था|प्रणाम!
(लिपि परिवर्तक- क्विलपेड)